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यौवन की कोयल / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'

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किसने फेंका मनस्पटल पर यौवन का पाटल कोमल ?
जाग उठी है नव तरंगमालाओं में अभिनव हलचल।

किसने सुधासिक्त मन पट पर विषयों की छीटें डाली।
किसने नीरव निर्मलता को कलुषित किया किया चंचल ?

अन्तस की नीरव वीणा के तारों को किसने छेड़ा ?
किसने नूतन राग जगाया ? किसने स्वप्न दिये सोनल ?

कौन जगाकर गया स्वप्न में मधुर वेदना चुपके से ?
किसने जाल सुनहरा बुनकर आखिर बाँधे नयन युगल ?

किसने चिन्तन के चकोर को पूनम का चन्दा सौंपा ?
किसने सजा दिया तारों से उर का रजत रजत अंचल ?

स्निग्ध चन्द्रिका जाने कब प्राणों में चुपके से आयी ?
कुसुमायुध कर गया न जाने कब मन को घायल घायल ?

कौन सुनहरे सतिया उर में माड़ा करता है निशिदिन ?
कौन सजाता कलश जलाता मधुर मधुर दीपक मंगल ?

मन की बगिया में यौवन की कोयल जब से बोली है,
दृग के हिरना चैके चैके देखा करते हैं हरपल।