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यौवन / शंख घोष
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दिन और रात
के बीच
परछाइयाँ
चिड़ियों के उड़ान की
याद आती हैं
यूँ भी
हमारी आख़िरी मुलाक़ातें ।
मूल बंगला से अनुवाद : नील कमल