दिन रात के मध्य
पक्षियों के
उड़ने की छाया
बीच-बीच में
याद आती हैं
हमारी वे अन्तिम मुलाक़ातें ।
मूल बांग्ला से अनुवाद : रोहित प्रसाद पथिक
दिन रात के मध्य
पक्षियों के
उड़ने की छाया
बीच-बीच में
याद आती हैं
हमारी वे अन्तिम मुलाक़ातें ।
मूल बांग्ला से अनुवाद : रोहित प्रसाद पथिक