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यौवन / शंख घोष / रोहित प्रसाद पथिक

दिन रात के मध्य
पक्षियों के
उड़ने की छाया

बीच-बीच में
याद आती हैं
हमारी वे अन्तिम मुलाक़ातें ।

मूल बांग्ला से अनुवाद : रोहित प्रसाद पथिक