रंगि-चंगि घइला के पाट-सूत विरवा / भोजपुरी
रंगि-चंगि घइला के पाट-सूत विरवा, आहो रामा पाट-सूत बिरवा,
कि आहो रामा, सँवरो झमकि पनिया के चलेली।।१।।
घइला से धइली कुँइयाँ के जगतिया,
कि हो गेंडुली देली खूँटा लटकाई।।२।।
हाँ रे, घइला भरिय भरि अररा चढ़वली,
कि हो हेरेलही पुरुब मुँहें बटियन साँवरी।।३।।
हाँ रे, पुरूबे से आवे दुइ परदेसिया,
कि पियवा सरीखे देखों दोई, कि आहो रामा।।४।।
हाँ रे बाट के बटोहिया कि तूहूँ मोर भइया,
कि एही बाटे देखल हो पिया परदेसिया।।५।।
आहे-आहे बहिनी, कुँइयाँ पनिहारिन,
कि आहो रामा, कुँइयाँ पनिहारिन,
कि छाक एक आहे बहिनी, पनिया पियावहु।।६।।
हाँ रे, पनिया पिअवले सँवरो, हियरा जुड़वले,
कि कवने बरन तोरो पिया परदेसिया।।७।।
हाँ रे, हमरो बलमुआ के लटपट पगिया,
कि कुसुमी रँगल डांडे़ भले सोभे धोतिया।।८।।