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रंगों का धूम-धड़क्का / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
फिर रंगों का धूम-धड़क्का, होली आई रे,
बोलीं काकी, बोले कक्का-होली आई रे!
मौसम की यह मस्त ठिठोली, होली आई रे,
निकल पड़ी बच्चों की टोली, होली आई रे!
लाल, हरे गुब्बारों जैसी शक्लें तो देखो-
लंगूरों ने धूम मचाई, होली आई रे!
मस्ती से हम झूम रहे हैं, होली आई रे!
गली-गली में घूम रहे हैं, होली आई रे!
छूट न जाए कोई भाई, होली आई रे!
कह दो सबसे-होली आई, होली आई रे!
मत बैठो जी, घर के अंदर, होली आई रे!
रंग-अबीर उड़ाओ भर-भर, होली आई रे!
जी भरकर गुलाल बरसाओ, होली आई रे!
इंद्रधनुष भू पर लहराओ, होली आई रे!
फिर गुझियों पर डालो डाका, होली आई रे!
हँसतीं काकी, हँसते काका- होली आई रे!