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रंगो का इन्द्रधनुष / मदन गोपाल लढ़ा

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श्वेत-श्याम चित्र में
छुपे हुए हैं
कितने सारे रंग।

देखते ही देखते
हरी हो जाती है याद
चेहरा सुर्ख गुलाबी
चमकने लगता है
आँखों का नीलापन।

कहाँ से उतर आता है
रंगों का इंद्रधनुष
जब-जब देखता हूँ
पुराना एलबम।