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रंग अन्धत्व / गीता शर्मा बित्थारिया
Kavita Kosh से
जो देखते है
हर बात में
काला सफ़ेद
उन्होंने देखे ही नहीं है
खिलते फूल,
मंडराती तितलियाँ,
उड़ते पक्षी
दौड़ते पशु ,
तैरती मछलियाँ
लहलहाती फसलें
विहान का इंद्रधनुषीय वितान
हंसते खिलखिलाते बच्चे
प्यार में डूबे युगल
पसीना बहाते मजदूर
चट्टान से मजबूत संकल्प
भक्ति में लीन भक्त
स्त्रियों की आंखों में तैरते सपने
बहु रंगी दुनिया को
दो रंगों में समेट देते हैं
रंग अन्धत्व के शिकार लोग