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रंग उड़ गया उस हल्के नीले दीवारी काग़ज़ का / इवान बूनिन
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रंग उड़ गया उस हल्के नीले, दीवारी काग़ज़ का
झलक रही थी कभी वहाँ जो, उस सारी सजधज का
सिर्फ़ वहीं दिखाई देता है अब, थोड़ा-बहुत रंग नीला
जहाँ टँगा था कई वर्षों तक, पोस्टर एक भड़कीला
भूल चुका यह दिल अब, वह सब भूल चुका है
मन को था भाता जो भी, अब मिल धूल चुका है
सिर्फ़ बची यादें उनकी, जो जीवन छोड़ गए
चले गए वे उस दुनिया में, हमसे मुँह मोड़ गए
(31 जनवरी 1916)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय