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रंग तेरे फ़ागुनी / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता

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रंग तेरे फ़ागुनी
सुर्ख़ गीले बैंगनी,
और भीगी चाँदनी
मिट्टी ज़रा गीली
और सोंधी तू
मन ज़रा महका,
और मैं,
बहका हुआ-सा
चाँद जैसे पिघलता हो
तुझे छूकर बसंती-सा हुआ
चल आज मिल जाऊँ तुझे
तुझमें आज खिल जाऊँ।