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रंग बोलते हैं / विजय गुप्त
Kavita Kosh से
न सुनो, लेकिन
रंग बोलते हैं
वाणी के संकेतों
और भाषिक चिन्हों
से अलग
कुछ और कुछ भिन्न !
सफेद,
मरे हुए कबूतर का भी तो रंग है,
शांति, संधि और समर्पण के
अलावा भी
कुछ और कुछ भिन्न !
लाल,
मार दिए गए
आदमी का भी तो रंग है,
शहादत, वीरता, क्राँति के
अलावा भी
कुछ और कुछ भिन्न !
हरा,
काट दिए गए
जंगलों का भी तो रंग है,
पेड़, हरियाली, कुल्हाड़ी के
अलावा भी
कुछ और कुछ भिन्न !
घुप्प काला,
समय और इतिहास का भी तो
रंग है,
पल, छन, संवत्, संवत्सर के
अलावा भी
कुछ और कुछ भिन्न !
सुनो कि,
रंग बोलते हैं ।