भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रंजिशो में ज़िन्दगी मत काटिए / सिया सचदेव
Kavita Kosh से
रंजिशो में ज़िन्दगी मत काटिए
प्यार की दौलत ही सब में बाँटिये
आपके अपने सभी इंसान हैं
खाइयां रिश्तो की पहले पाटिये
ग़र ख़ुशी पानी है तो ग़म भी सहो
नश्तरों से फूल थोड़े छांटिए
डर गया तो फिर संभल न पायेगा
आप बच्चे को न ऐसे डांटइए
सारे मज़हब एक हो जाये सिया
इस दुआ के साथ चाहत बाँटिये