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रंज की जब गुफ्तगू होने लगी / दाग़ देहलवी
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रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
चाहिए पैग़ामबर दोने तरफ़
लुत्फ़ क्या जब दू-ब-दू होने लगी
मेरी रुस्वाई की नौबत आ गई
उनकी शोहरत की क़ू-ब-कू़ होने लगी
नाजि़र बढ़ गई है इस क़दर
आरजू की आरजू होने लगी
अब तो मिल कर देखिए क्या रंग हो
फिर हमारी जुस्तजू होने लगी
'दाग़' इतराए हुए फिरते हैं आप
शायद उनकी आबरू होने लगी