रक्त में रक्त से अलग होकर गाता हूं / नीलोत्पल
यह बात मुझे
जीवन में आए बदलाव के लिए कहनी थी
कि जो मैं हूं
वह चुपचाप देखता और सुनता हूं
मैं नहीं कह पाता जो मुझे कहना है
मैं रक्त में रक्त से अलग होकर गाता हूं
मुझे पसंद है अपनी चीज़ों का मुरझा जाना
यह बात अलग रखने की नहीं
मै झूम रहा हूं
घर में, गलियों में,
पत्तों में, रक्त में
रंगों में
(जो बात किताबों में दर्ज नहीं हो पाई
वे ही ज़्यादा महत्वपूर्ण थीं )
आओ और देखो
मेरे नीले और हरे शब्दों को
आओ और देखो
मेरी मृत्यु को अपनी खामोशी में
तुम्हारे वस्त्रों, दांतों, साबुन और तेल से अलग
देखो गिरते-उठते हेंडपंप को
जहां से मैं आता हूं पानी की तरह
तुम्हारे बर्तनों में
मैं उस चीज़ के लिए मौजूद हूं
जो उठती है अपनी सतह से
जिसके गिरने की पीड़ा
जज़्ब करता हूं
मैं उस यथार्थ के लिए लिखता हूं
जो हर कहीं है
मेरी जेब से गायब है
कुछ चिठ्ठियां, पते, नंबर
फिर भी मैं लिखता हूं बदलाव
भीतर का नहीं
फूटती हुई नसों से बाहर
चटक आए गढ्डों
और कमर से कमर मिलाए
रातों की नंगी रोशनियों का
बाहर और भीतर खोजता हूं
भटकता हूं गुम हुई
रोशनी के लिए
मैं नहीं हूं उन जगहों पर
जहां उंगलियों की खुरच पड़ी
हर बार मेरे चुकने में
यों अलविदा कहता हूं ख़ुद से
और अलग होता हूं