भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रखता है ख़बर सबकी / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
रखता है ख़बर सबकी, ज़रूरत की बदौलत से।
हर कोई जी रहा है, अपनी ही सहूलियत से।
अच्छे बुरे तो माना कि दुनिया में बहुत हैं,
बच-बचके चलते रहना हर एक मुसीबत से।
वैसे तो कई लोग हैं, जो तरक्क़ी पसंद हैं,
मिल जाती उनको राहें, एक अदना नसीहत से।
माना कि कोई राह में, अपना ना मिल सका था,
वह शख़्स भी घर आता है, ईश्वर की बदौलत से।
संसार में आने का, वह मक़सद भी समझिए,
जीना है तो फिर जानिए, जीने की हक़ीक़त से।