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रगड़ी-रगड़ी मधु-चन्द, छीपा भरी रगड़ला चन्दन / भोजपुरी

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रगड़ी-रगड़ी मधु-चन्द, छीपा भरी रगड़ला चन्दन, बटा भरी कतरैला पान।
मिली लेहु, जुली लेहु सखिया-सलेहर, चहलु सगर असनान।।१।।
अरी अरी बहिनी, कुँइयाँ परिहारिन री,
छाक भरी पनिया पिया देहु, घरमी बहुरी लेहु।।२।।
कुँइयाँ नाहीं पनिया, कलसे नाहीं डोरिया,
कथी लाई पनिया पिलाइबि, धरमी बहुरी लेबों।।३।।
कुँइयाँ बा रे पनिया, कलस बा रे डोरिया,
सेहे लाई पनिया पिया देहु, धरमी बहुरी लेहु।।४।।
पनिया पिअवले सँवरो जिउवा सूसतवले,
कहु सँवरो घरहूँ के कुशल, तोरे सामी कहाँ बसे।।५।।
ससुर अवधपुर, भसुर गोरखपुर,
सइयाँ मोरे बारे सिरी मोरंग, हमें घनि असगर।।६।।