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रघुवर सरन गहों मन मेरे / संत जूड़ीराम
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रघुवर सरन गहों मन मेरे।
काल त्रास त्रई लोक विदित है भय मानत बहुतेरे।
वे रघुनाथ पार नहिं मिलहैं जुगन-जुगन अरुझेरे।
जों जग जाल काल सम तूली कर्म धर्म कर पेरे।
पार न मिलत नाम बिन चीने चहुंदिस भ्रमत फिरे रे।
सहज सरूप आपनो साधा ध्यान धरो उन केरे।
जूड़ीराम नाम के प्रगटें अंध नास भय मेरे।