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रचना-बहुत कुछ होना है / राजेश चड्ढ़ा

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रचा जाता है
बहुत कुछ-
कला और
भाव-पक्ष की,
सीमाओं के बाहर भी,
भाव-पूर्ण।

रचा जाता है
बहुत कुछ-
सार्थक ध्वनि समूह
के बिना भी,
मर्मस्पर्शी।

रचा जाता है
बहुत कुछ-
शब्दार्थ योजना
के बगैर भी,
प्रवाहशील।

रचना-
बहुत कुछ
होना है।