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रचना / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा

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सपने की छाया में दिन था
दिन की छाया में सपना

छाया-सा मन
मन-सी छाया
भ्रम-जालों की भीड़ पुरानी
कौन हुआ अपना!