भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रचाव / सांवर दइया
Kavita Kosh से
हां s s
जान लेवा है जरूर
आ पीड़
आ पीड़ रचाव री
पण
जान लेवा घड़ी नै पछाड़
रूं-रूं में मुळक भरै
रचाव
रचाव
पीड़ में सुख रो नाम
साखी है
चूंघावती मा रो चितराम