भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रतनारो नैना / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रतनारो नैना वाको हो रतनारो नैना वाको
मुनि संग बालक ताको हो रतनारी नैना वाको

रवि ससि कोटि बदन तर सोभा धुनस बान कर वाके
भला हो धनुस बान कर वाके
ये दोउ बाल कौसिल्या के नंदन
ये दोउ बाल कौसिल्या के नंदन
दसरथ नाम पिता के हो रतनारी नैना वाको
रतनारो नैना वाको हो रतनारो नैना वाको

मुनि के यज्ञ सुफल करि आए फिर आए राजा के
भला हो फिर आए राजा के
गौतम ऋषि की नारी अहिल्या
गौतम ऋषि की नारी अहिल्या
तारो
हो तारो चरन छुआ के हो रतनारो नैना वाको
रतनारो नैना वाको हो रतनारो नैना वाको

तब सखि सीता बर के कारन पूजा करत उमा के
भला हो पूजा करत उमा के
सबके करूनामेघ दयालु
सबके करूनामेघ दयालु
आए
हो आए सरन तिहारो हो रतनारो नैना वाको
रतनारो नैना वाको हो रतनारो नैना वाको