रतिया क देखलीं सपनवाँ अंगनवाँ / हरिवंश पाठक 'गुमनाम'
रतिया क देखलीं सपनवाँ अंगनवाँ
टह-टह लाल कचनार,
नेहिया क बिरवा क लामी-लामी पतिया
पतिया से भेजे अँकवार
मुँहवाँ क पनियाँ में मनवाँ धोराइल
आगि क लवरि अँगिराय,
अथरा क तरवाँ न चनवाँ ढँपाला
रूपवा न घुँघटा अमाय।
थहरत अंग-अंग सँचवा क ढारल
लरजल मन सुकवार।। टह-टह...
दरकलि अँगिया दरजिया पठौतीं
हियरा पठाईं कवन ठाँव,
तोरि-तोरि सपना मिलाइ देत मटिया
भइलि बदनाँव
उचटलि निनियाँ मनवले ना माने
आँखि-आँखि होत भिनुसार।। टह-टह...
जिनिगी क रतिया, सनेहिया क निनियाँ
मटिया क सपना जवान,
का देइ मनवाँ क बबुआ मनाईं,
खेले के माँगेला चान।
काँची उमिरिया छोहाइल छतिया
अँखियन ढुरुके दुलार।। टह-टह...
मटिया क गगरी पिरितिया क उझुकुन
जोगवत जिनिगी ओराय,
सगरी उमिरिया दरदिया क बखरा
छतिया क अगिया घुँआय।
बूड़ि जात कजरा में अँचरा क कोरवा
लोरवा लिखल बा लिलार।। टह-टह...