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रतेलियो / आशा पांडे ओझा

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सूख्योड़ी लकड़ियां रै जेड़ा
चर ‘र-चर ‘र करता थकां हाडका
सूख ‘र पाका पड़ियोड़ा खजूर री
पाकी पड़योड़ी पत्तियां जैड़ी
ही उणरै मुंडा री झिरियां
बिरखा में
छैटी-छुटियोड़ी छीणा रै
बीचाकर टिपकता पाणी
सीरखी टिपक-टिपक टिपकती थकी आंखियां
अर उण रै में फोड़ा रै मवाद सो
भैळो हुयौड़ो पीळौ-पीळौ मैल
भीज-भीज ‘र पाछी सूख्यिोड़ी
धूड़-धूसरित भींता जैड़ी
झड़-झड़ झड़ती काळा कट
होंठां माथली पापड़ी
कीणी मोटर रै हैठै आय ‘र
पिचकीजियोड़ी रबड़ री
सीसी सरीसी कुड़सी रै हथा सरीसी
अठी उठी माडांई हिलता डुलता उण रा हाथ
पुराणा ढोलिया रै पागां जैड़ा
डिग-मिग, डिग-मिग करता थकां पगल्यां
रासण रै चावळा जैड़ा
धोळा, पीळा गूबळा उणरा केस
कोई बरसां बरस पैली
खेत री रूखाल सारू
बणाया थकां अड़वा रै
गाबां सरीसो हो उणरौ पैराण
बात-बात में हंसतोै थकौ
भीजोय लैंवती आंख्यां
मियाद बारै हुयोड़ी
सेवन सीज री गोळियां सरीसा
हा उणरा केसरिया कट दांत
बुइियोडा मुंडा माथै
लरेक घड़ी झुपती बीड़ी
इयांन लागती
जाणै कोई निपट अमावस री
काळी सूनी रात में
झपझपाय रियो एकलो मंगळ तारो
बीस रूपिया मइना पर घर हिसाब सूं
करण आवतो हो बो
म्हाणै गवाड़ री रूखाली
राम जाणै कुण करतो हुसी
उण गरीब री रूखाळी
कोई तीस बरसां पछै
आज क्याें आय उबियौ
म्हारी आंख्यां आगै
रतैलियो।