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रफ़ाकत के रंग / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
मैंने घोले हैं
कई रफ़ाकत<ref>दोस्ती</ref> के रंग
पानी में
आओ धो लें ...
अपनी-अपनी अदावतें<ref>दुश्मनी</ref> इसमें
शायद
अबके खिल आए
शोख रंग गालों पे...
शब्दार्थ
<references/>