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रमोला / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
आई है महरिन की बेटी
महरिन आज नहीं आएगी
यही आज माँजेगी बरतन
झाडू करके घर जाएगी
पढ़ने कभी नहीं जाती है
पर किताब माँगा करती है
कहती है, क्या लिखा हुआ है
वह अपनी माँ से डरती है
इसको कई घरों में जाना
निपटाना है काम वहाँ पर
माँ ने उसे दिया है टाइम
उसी समय पहुँचेगी वह धर
नाम रमोला है लड़की का
कोयल जैसा स्वर पाया है
एक बार गाया था गाना
लगा, स्वर्ग नीचे आया है
मेरे घर जब तब आती है
मैंने उसे पढ़ाया थोड़ा
सीख लिया झट, आगे की
कविता की लाइन को खुद जोड़ा
मगर रमोला नहीं पढ़ेगी
माँ का ऐसा ही है निश्चय
भाई सिर्फ पढ़ेगा उसका
माँ का प्यारा बेटा संजय
चित्र बनाती कितना सुंदर
किंतु रमोला, वह बेचारी
कुछ भी कभी न बन पाएगी
जीवन में आफत की मारी।