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रसगुल्ला / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
गोळ-गोळ अर धोळा-धोळा
रसगुल्ला भई रसगुल्ला
टाबरियां रै मन नै भावै
बीकाणै रा रसगुल्ला।
सगळां रो ए जी ललचावै
मुंडै में पाणी भर आवै
लूणी रै टेसण मिलज्यावै
मोटा-मोटा रसगुल्ला
कोई छोटा कोई मोटा
रस रै टब में खावै गोता
खुरमाणी चमचम रा साथी
बणै दूध रा रसगुल्ला।
शालू नै रसगुल्ला भावै
पण आ बात समझ नीं आवै
गोळ-मटोळ सा इण गोळां में
रस री बूदां किंयां पुगावै।