Last modified on 10 जुलाई 2010, at 20:10

रसने, रटु सुंदर हरि नाम / भारतेंदु हरिश्चंद्र

रसने, रटु सुंदर हरि नाम।
मंगल-करन हरन सब असगुन करन कल्पतरु काम।
तू तौ मधुर सलौनो चाहत प्राकृत स्वाद मुदाम।
’हरीचंद’ नहिं पान करत क्यों कृष्ण-अमृत अभिराम॥