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रसियो सूरज / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सूरज स्याणो
मांड लिया दो-दो घर
भाख फाटतां ई
अगूण गळी में
राजी करै
भोर बीन्दणी नै
भळै आसूं
कैय’र टुर जावै
दिन भर खटै
अर
आथूंण गळी पूग
सिंझ्यां सुहागण सागै मुळकै
लेवै रातवासो
समंदर महल में
सूरज स्याणै
मांड लिया दो-दो घर
जुगां सूं निभावै
दोनां नै !