भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रसीले नैन गोरी के रे / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रसीले नैन गोरी के रे
चलो एक नार पानी को रे
मिला एक छेल गबरू सा रे
किसे तुम देख मचले हो रे
किसे तुम देख अटके हो रे
सूरत तेरी देख मचला हूं रे
जोबन तेरा देख अटका हूं रे
कहां तेरे चोट लागी है रे
कहां तेरे घाव भारी है रे
हिवड़े में मेरे चोट लागी है रे
कलेजे मेरे घाव भारी है रे
आओ ना मेरी सेज पर गोरी रे
रसीले नैन गोरी के रे