भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रस-सिद्धान्त से आगे / महेश उपाध्याय
Kavita Kosh से
आज की कविता एक पान है
कत्था : शृंगार रस
चूना : हास्य रस
सुपारी : वीर रस
कवि सम्मेलन :
पान की दुकान है
गोष्ठी : पानदान है ।