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रस सारा पी डाला / बालकृष्ण गर्ग
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‘कुत्ते’ आए कलकत्ते के,
दिल्ली वाले ‘बिल्ली
नाग नागपूर के आए तो
खूब मची खलबल्ली।
कई मुबई की दुमई थी,
गऊ लखनऊ वाली।
मिली बनारस और हाथरस-
से बस, ‘रस’ की प्याली।
‘दुमई-नाग’ बिलों में पहुँचे,
‘गऊ’ गई गोशाला।
‘कुत्ते-बिल्ली’ हमने पाले,
‘रस’ सारा पी डाला।
[बाल-भारती, सितंबर 1977]