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रहता है अजब हाल मेरा उनके साथ / जाँ निसार अख़्तर
Kavita Kosh से
रहता है अजब हाल मेरा उनके साथ
लड़ते हुए अपने से गुज़र जाती है रात
कहती हूँ इतना न सताओ मुझको
डरती हूँ कहीं मान न जायें मेरी बात