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रहस्य मेरा / गैयोम अपोल्लीनेर / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
मेरा रहस्य तू अभी तक
खोल नहीं पाया
और मौत का रथ क़रीब आता जा रहा है
दुख से पीली पड़ गई है
हम सबकी काया
और यूँ ही समय ग़रीब ये बीता जा रहा है
फव्वारा जीवन का यह
सजा हुआ है फूलों से
और लोगों के चेहरों पर है मुखौटों की छाया
और मेरे भीतर जैसे
बज रही हैं घण्टियाँ
मेरा रहस्य तू अभी तक खोल नहीं पाया
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय