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रहेंगे हम ऐसे ही / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
कित्ते बरस
बीत गए
कित्ते रीत गए
हम वैसे ही है
जैसे पहले थे
अल्हड़ मस्त
बैखोफ
आज भी
ऐसे ही
रीत जायेंगे
पल महीने साल
और
सदियां
और
हम
ऐसे ही रहेंगे
रमेंगे
सदा