पता
नहीं पूछता मैं किसी का भी
डरता हूं
उस स्वाभाविक सवाल से
जब पूछ लिया जाएगा
ठिकाना मेरा
सच-सच बता पाऊंगा
बुला पाऊंगा
मेरे ठिकाने
कितना आसां होता है
कह देना
‘मेरे घर आना जिंदगी’
रहेगी कहां-री जिंदगी
जब आएगी
जीने के लिए मेरे घर ?
पता
नहीं पूछता मैं किसी का भी
डरता हूं
उस स्वाभाविक सवाल से
जब पूछ लिया जाएगा
ठिकाना मेरा
सच-सच बता पाऊंगा
बुला पाऊंगा
मेरे ठिकाने
कितना आसां होता है
कह देना
‘मेरे घर आना जिंदगी’
रहेगी कहां-री जिंदगी
जब आएगी
जीने के लिए मेरे घर ?