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राखी रऽ गीत / धीरज पंडित
Kavita Kosh से
हय राखी के डोर
भैया बहिनी के लोर
ऐतना परेम बहै छै
लगै छोर-छोर-छोर
राखी के दिन बारी, ”धीरज“ राखै
अपनोॅ भैया सोॅ शुभ वर मांगै।
बान्ही सुता के डोर
देखै आँखी मेॅ भोर
ऐतना प्रेम बहै छै
लगै छोर-छोर-छोर...
मैया दुलारी बाबा पियारी
भैया के असरा सेॅसोसे जिनगी
करै छै झिकाझोर
कुछ मांगै लेॅ इंजोर
ऐतना प्रेम बहै छै
लगै छोर-छोर-छोर...
परेम के नाम सेॅ भरलोॅ बगिया
भाय-बहिन दुनिया केऽ हटिया
नाचैऽ मोद मलोर
होय केॅ भाव विभोर
ऐतना प्रेम वहै छै
लगै छोर-छोर-छारे...