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राख का ढेर है / मंजुला सक्सेना

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राख का ढेर है तेरी हस्ती खोज ले आत्मा में ही मस्ती
रोशनी का कतरा हूँ बाँधोगे कैसे मिटटी में ?

लेखन काल: २८-३-२००८