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रागनी 13 / विजेन्द्र सिंह 'फौजी'
Kavita Kosh से
दो महीने हो लिए लाल की चिठ्ठी ना आरी
हे बेरा ना किस हाल म्हं होगा मनैं सोच सै भारी
छिड़री सै हे लड़ाई, न्यूं खबर रेडियो पै आई
हे सुणकै मैं घबराई-2
हे मनैं नींद भी ना-2 आई मैं जागी रात सारी
हे मनैं रोटी भी ना भाती, मेरै होरी गात उचाटी
मैं साची बात बताती-2
हे भुंडे-भुंडे-2 मनैं सपने आवैं मैं न्यूं ज़्यादा घबरारी
हे कोन्या मान्या मेरी, होग्या फौज म्हं भर्ती बैरी
थारे आगै साची मैं कहरी-2
हे चा घणा था-2 छोरे कै करुं डयूटी मैं सरकारी
विजेन्द्र सिंह बेचारा, हे वह प्रदेशां म्हं जारा
हे वह नए-नए छंद बणारा-2
हे दोनों बख्ता-2 ज्योत लगाऊँ उंकी रक्षा करै मुरारी
तर्ज-दिल दिवाने का डोला दिलदार के लिए