भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजधानी में एक नाइजेरियाई लड़का / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अभी-अभी जो गुज़रा है लंबा,
बिल्कुल काले रंग का
सर पर फ़र-टोपी सदृश्य बालों वाला युवक

मेरे स्पैम-बॉक्स में पड़े कई मेल का स्वामी
जिसे क्लिक करते ही
मेरी जली किस्मत चमक सकती थी
हजारों डालर पुरस्कार में देना चाहता है वह
औने-पौने दाम पर बेचना चाहता है वह मुझे
अपना क़ीमती कैमरा
पता नहीं क्यों
बड़ी विनम्रता से माँगते हैं वे
मेरा सेल-नम्बर, स्ट्रीट-नम्बर और
एकाउंट-नम्बर भी
मुझे वे धरती का बेहद ख़ुशनसीब इंसान घोषित करते हैं

कई बार सोचा कितने धनी व उदार है
फ़र-सदृश्य टोपी वाला यह नाइजेरियाई !

मेल-प्रोवाइडरों की वार्निंग को कर्ह-कई बार
चाहता हूँ अनदेखा करना
कई-कई बार आता है गुस्सा
लाल चेतावनी पर

कई-कई बार मिलता है वह नाइजेरियाई
चाहता हूँ अदा करना आभार
बटमारी के किसी नायाब इल्म का हिस्सा
नही हुआ मैं
कि मेरे पास चंद कविताओं के अलावा
खोने के लिए कुछ भी नहीं था ।