राजनीति कइसे नाचत हे / एम.आर.साहू
आज राजनीति हा मोजरा बन के नाचेथ
कुछ नेता मन ओला घेर के ओय ओय काहथे॥
मजहब के गमला मा नफरत के पौधा ला उगावथे,
सत्ता के व्यापारी मा हिंसा के बीज ला डारथे।
रामफल के जचगह मा रावण फल लगथे,
इही फल ला खाके कुछ नेता मन भोय भोय डकारथे॥
कुछ मन भ्रष्टाचार के मैदान मा कुभावना के गेंद फेकथे
धर्म के बल्ला ला पकड़ के चौका छक्का लगावथे
सत्य के विकेट ला वार वार गिरावट जाथे
अहिंसा के एम्पायर ला दोय दोय ठठावथे।
गूंग तेली राजा भोज बनगे,
काल के कुकुर हा आज शेर बनगे।
अमटाहा साग हा, मशलहा, बनगे
इही ला जनता हा खोये खोये खाथे।
लकठा चुनाव ल देखके, लाडू ला वेंदरा जान ढूलाथे ।
मिठ मिठ बोल के मिठ लवरा मन हमला भुला जाथे॥
जब उकर मुंह मा दहि जमिस जांगर मा परगे कीरा हे।
सब आंखी मूंदे बइठे हे जब देश मा जान के पीरा हे
एमन अपन पांव मा राजनीति एक घुंघरू मा फसावथे ॥
वाह रे कुर्सी के ललचाहा तूमन देश मा चिखला मताववथव
हिन्दू मुस्लिम भाई मन ला दुश्मन बनाववथव॥
घुम घुम के संविधान के हरियर चारौटा ला रउंदाववथव।
एमन राजनीति के मूड़ ला पैसा लूटावथे
देश ला पाली बनाके पासा के खेल खेलत हे
सरहा लकड़ी ला चीर के तीरी पासा कस खेलत हे
सकुनी के चाल कस गोटी मन ला रेंगावथे