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राजनीति ने जन जीवन के / सियाराम प्रहरी

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राजनीति ने जन जीवन के
सिर्फ जहर देनें छै
नैतिकता के पेन्ह मुखौटा
की की नै कैने छै

ज्ञानी-ध्यानी तपसी योगी
सभ्भे छै भीतर से रोगी
सत्-कर्मों के ज्ञान उवाचै
दुष्कर्मों के छै सहयोगी
छल परपंचों के आसन से
अपनो के वॉन्हि लेनें छै

रावणा राज भवन के स्वामी
बनवासी छै अन्तर्यामी
सद्विवेक सद्ज्ञानन मौन छै
प्रमुदित छै सब लोभी कामी
सदाचार ने कदाचार के
दामन थामि लेनें छै

असुर शक्ति के जोगि रहल छै
तरह तरह सुख भोगि रहल छै
दीन हीन के लूटै वाला
सगरो नेता लोग रहल छै
सुविधाभोगी है नेता ने
सबके बाँटि देनें छै।