राजनीति में आकर गुंडो के भी बेड़ापार हो गये / डी.एम. मिश्र
राजनीति में आकर गुंडो के भी बेड़ापार हो गये
धीरे -धीरे करके जनता को भी सब स्वीकार हो गये।
लूटतंत्र में काले कौए उड़कर कहाँ से कहाँ हैं पहुँचे
बड़ी- बड़ी कुर्र्सी हथिया कर देश के खेवनहार हो गये।
ये सब फ़ितरत की बातें हैं पर हम जैसे क्या समझ्रेंगे
जिन पर था रासुका लगा वो बंदी पहरेदार हेा गये।
जनता में पैसे बँटवाकर कैसे वोट ख़रीदा जाता
बूथ लूटकर बने विधायक फिर भी इज़्ज़तदार हो गये।
बड़ी- बड़ी बातें करते थे बड़े-बडे़ मंचों से कल तक
ऐसा क्या मिल गया कि अब वो बिकने को तैयार हो गये।
उसने तो चारा डाला था मगर हमीं धोखा खा बैठे
सेाने की कँटिया में फँसकर अपने आप शिकार हो गये।
अख़बारों में नाम छपे ये किसको नहीं सुहाता भाई
चार मुफ़्त का कंबल बॉँट के लेकिन वो करतार हो गये।
पढे़-लिखे उन बच्चों को कुछ भी करने को नहीं मिला जब
तो वो मौत के सौदागर के हाथों का औज़ार हो गये।