राज़े-दिल फ़ाश किया मैंने मिरी साक़ी पर
कुछ न देखा मैं बजुज़ पर्दादरी शीशे में
दिल में जिस रंग से ’सौदा’ के गुज़रती है लहर
मौजै-मै कर न सके ज़ल्वागरी शीशे में
राज़े-दिल फ़ाश किया मैंने मिरी साक़ी पर
कुछ न देखा मैं बजुज़ पर्दादरी शीशे में
दिल में जिस रंग से ’सौदा’ के गुज़रती है लहर
मौजै-मै कर न सके ज़ल्वागरी शीशे में