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राज़ इस दिल का ज़माने को बताने आयी / रंजना वर्मा
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राज़ इस दिल का ज़माने को बताने आयी।
चश्मे नम आज मुझे फिर है रुलाने आयी॥
रात ने चाँद की शम्मा को जला रक्खा है
लोन परवानों के ज़ख़्मों पर लगाने आयी॥
सिर्फ़ भँवरों की मुहब्बत में मुब्तिला है हुआ
फिर भी तितली है उसी गुल को लुभाने आयी॥
शब अँधेरी है बड़ी दूर है मंजिल मेरी
कोई उम्मीद मुझे राह दिखाने आयी॥
एक मीठी-सी कसक जाग उठी सीने में
मेरी तनहाई मुझे मुझसे मिलाने आयी॥
ख़्वाब है सिर्फ़ तसव्वुर है और खामोशी
गीत बे लफ़्ज़ हवा मुझको सुनाने आयी॥
रूठ कर आफ़ताब है छुपा समन्दर में
भोर लहरों पर चढ़ी उसको मनाने आयी॥