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राज़ दिल का नहीं बता देना / कैलाश झा 'किंकर'

राज़ दिल का नहीं बता देना।
बात दिल में ही तू दबा देना॥

चाहता हूँ तुझे ही दिल से मैं
मत जुदाई की तू सज़ा देना।

काम मिल्लत से ही हुआ करता
यूँ अदावत को मत हवा देना।

दोस्ती तो टिकी भरोसे पर
दोस्त को मत कभी दग़ा देना।

एक तुलसी हूँ तेरे आँगन की
शाम होते दिया जला देना