भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजा दसरथ जी पोखरा खनावले / मगही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

राजा दसरथ जी पोखरा खनावले, घाट वँन्हावले हे।
कोसिला जी डँड़िया फँनावले<ref>पालकी पर चढ़ाकर ले गई</ref> राम नेहबावले<ref>स्नान कराती है</ref> हे॥1॥
मँड़वहि<ref>मण्डप में ही</ref> झगड़े धोबिनियाँ, निछावर<ref>न्यौछावर, नेग, दुलहे को ओइँछ कर दिया जाने वाला दान</ref> थोड़ अहे हे।
रघुबर के नेहलइया<ref>स्नान कराई</ref> हमहीं गजहार<ref>गजमुक्ता का हार</ref> लेबो हे॥2॥
जनु तोहें झगडूँ धोबिनियाँ, निछावर थोड़ अहे हे।
राम बिआहि<ref>विवाह करके</ref> घर अइहें, त तोरा गजहार देबो हे॥3॥

शब्दार्थ
<references/>