राजा रे दुलरूआ केॅ काहे दुःख देल्होॅ विधि
हमरा अबोध केॅ तोॅ मुलवा भुलाय देॅ।
दुखिया के जिनगी के भरलोॅ अन्हरिया केॅ
एकटा सहारा दीप हमरा देखाय देॅ।
देहरी केॅ सब दिन अँचरा सें झाड़ी फनूं
दियरा जलाबै लेली हमरा सहाय देॅ।
राजा रे दुलआरू केॅ भाग भोग दहौ प्रभू,
जीते जीहोॅ दुखिया केॅ मरै सें बचाय देॅ॥