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राजा शेर के जनम दिन / श्रीकान्त व्यास
Kavita Kosh से
राजा शेर के जनम दिन पर
दरबारोॅ में लागलै भीड़।
कमसिन मेमना देखी केॅ
लागै छाती देतै चीर।
शेर बौस में मेमना काँपै,
बकरीं बच्चा केॅ समझावै।
छोटका नुनु मेमना जी केॅ
झूठे बातोॅ में भरमावै।
हुआँ-हुआँ करी शेरोॅ के दिल
गीदड़ मामू जी बहलावै।
पथरोॅ ऊपर खाड़ी हिरणी
हैप्पी बर्थ डे टू यू गावै।
ढेंचू-ढेंचू गदहा बोलै,
दुःखी मन बकरी मेमियावै।
बनरां जंगल राजा जी केॅ
गाढ़ा मेकअप सें सजावै।
लागलै भूख शेरोॅ केॅ जबेॅ,
नजर घुमैलकै मेमना ओर।
जागलै ममता बकरी माय के
आँखी सें बहै झर-झर लोर।
कमजोरै पर आफत आवै,
सब्भे दिन यहाँ समाजोॅ में।
कुच्छे लोग रहै भाग्यशाली,
समझोॅ हौ छै अपवादोॅ में।