भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राजी-रूसी / निर्मल कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
करे अणूथो लाड राजी घरवाली
घणी करे है राड़ रूसी घरवाली
हँसे है दांतां काढ़ राजी घरवाली
रहे है मूंडो चाढ़ रूसी घरवाली
धरे है हिवड़ो काढ राजी घरवाली
करे है टेढ़ी नाड़ रूसी घरवाली
राखे खुलो किंवाड़ राजी घरवाली
सोवे साँकल चाढ़ रूसी घरवाली बोले मिसरी चाढ़ राजी घरवाली
देखे आँख्यां काढ रूसी घरवाली
तपती में ठण्डी आड़ राजी घरवाली
सूखी कांटा री बाड़ रूसी घरवाली
जोड्यां राखे सदा गुवाड़ राजी घरवाली
कर दे मिनटा में दो फाड़ रूसी घरवाली