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राजू चाचा / धनन्जय मिश्र
Kavita Kosh से
राजू चाचा, राजू चाचा
देखोॅ वहाँ बजै छै बाजा
बाजा गीत सुनाबै छै
सबकेॅ मोॅन हरसाबै छै।
राजू चाचा, राजू चाचा
हम्ें एखनी खैबौं खाजा
खाजा लोभ बढ़ावै छै
सबके भूख जगावै छै।
राजू चाचा, राजू चाचा
चाची संग जैवौं झाझा
चाची खुब्बे मानै छै
मनवा हमरोॅ जानै छै।
राजू चाचा, राजू चाचा
सभ्भे आय मनोॅ के राजा
कोय नै कहना मानै छै
दुख जानी केॅ लानै छै।
राजू चाचा, राजू चाचा
देखोॅ-देखोॅ खेल तमाशा
सुग्गां पतरा बांचै छै
भाग्य-दोष केॅ जांचै छै।
राजू चाचा, राजू चाचा
तोहें आय यहाँ सें ना जा
मदारी हिन्हें आवै छै
बंदरीया नाच दिखावै छै।