भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात! मेरे दिल में नाच / कुमार पाशी
Kavita Kosh से
रात--प्यारी रात-नाच
चल रही है आज यादों की पवन--ऐ रात नाच
आसमानों की बहन--ऐ रात नाच
ऐ मेरी देरीना महबूबा, मेरी दिलदार नाच
वहशियों के हाथ की तलवार नाच
इस ज़मीन की सरहदों के पार--नाच
पर्बतों पर नाच, दरयाओं पे नाच
गुलशनों पर नाच, सहराओं पे नाच
दूर के फूलों भरे मधुबन में नाच
रात! मेरे घर मेरे आंगन में नाच
रात--प्यारी रात--आ
चांद तारों की दुलारी रात-आ
दो घड़ी अब दर्द की महफ़िल में नाच
रात! मेरे दिल में नाच